RAJU BAGRA'S-JAIN BHAJAN GITIKA-MADURAI [TN]
मंगलम भगवान वीरो,मंगलम गौतमो गणी । मंगलम कुन्द्कुंदाद्दौ, जैन धर्मोस्तु मंगलम ॥ णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं णमो उव्झायाणं णमो लोए सव्व साहुणं..ऐसो पञ्च णमोक्कारो,सव्व पाव पणासणो मंगलाणं च सव्वेसिम् पढमं हवई मंगलम ........ मैंने कुछ भजन भगवान् की भक्ती मे अर्पण किये है -आप भी इनका रसपान करे ! by raju bagra-madurai
Thursday, August 28, 2025
109 तर्ज़ जोगी हम तो लुट गये तेरे प्यार में (शहीद)
Wednesday, August 27, 2025
85 तर्ज-कोयलिया (मारवाङी)
57 तर्ज़ हे राम हे राम जग में सांचो तेरो नाम (जगजीत सिंह)
39 तर्ज -जब कोई बात बिगड़ जाए, जब कोई मुश्किल पड़ जाए (जुर्म) (राग-औदव)
27.8.2025 (9.30 pm)
37 तर्ज यशोमती मैया से बोले नन्दलाला (सत्यम शिवम सुन्दरम)(राग-काफी)
Tuesday, August 26, 2025
36 तर्ज और इस दिल में क्या रक्खा है (ईमानदार)(राग-चारूकेशी)
33 तर्ज़-आवाज देके हमें तुम बुलाओ,मोहब्बत में इतना न हमको सताओ (प्रोफेसर) (राग-मिश्रा शिवरंजनी)
Sunday, August 24, 2025
26 तर्ज अजी रूठ कर अब कहां जाइयेगा (आरजू) (राग-देश)
Saturday, August 23, 2025
11 तर्ज- और रंग द रे भाया ओजू रंग द -मारवाड़ी
वीर जन्म्या,तिर्थंकर, वीर जन्म्या -२
माता त्रिशला न भेजोs बधाई रे ,नगरी म वीर जन्म्या
२
देव औ कुबेर, राजा, इन्द्र पधार्या
३
पूजा रा कपङा म्हारः ,पीला रंगवाया-
म्हाराः सुसराजी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या
४
पूजा की थालीः म्हानः ,पीली घङवायी-२
म्हाराः सासुजी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या
५
पूजा री केसर,पीलीः ल्यायी जेठानी-२
म्हारा जेठ जी को मन हर्षायो रे , नगरी म वीर जन्म्या
६
मदुरै नगरी म,पीलाः लाडू ,बंटवाया
म्हारा देवर जी को मन हर्षायो रे ,नगरी म वीर जन्म्या
28.3.2010
Thursday, August 21, 2025
108 तर्ज मैं शायर तो नहीं,मगर ए हसीं (बाॅबी) (राग-कीरवानी)
Saturday, August 16, 2025
107 तर्ज-मधुवन खुशबू देता है (साजन बिना सुहागन) (राग- अहीर भैरव)
Wednesday, August 13, 2025
106 तर्ज-चंदन सा बदन चंचल चितवन (सरस्वती चंद्र)राग यमन
Saturday, August 9, 2025
105 तर्ज नैना बरसे,रिमझिम रिमझिम, पिया तोरे आवन की आश (वो कौन थी) (राग-शिव रंजनी)
Sunday, August 3, 2025
104 तर्ज- तुम मुझे यूं,भुला न पाओगे,जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे (पगला कहीं का)(राग-झिंझोटी)
Saturday, July 19, 2025
103 तर्ज किसी राह में किसी मोङ पर,कहीं चल न देना तू छोङ कर (मेरे हमसफ़र)(राग-चारुकेशी)
Saturday, July 12, 2025
102 तर्ज दो दिल मिल रहे हैं मगर चुपके चुपके (परदेश) (राग-मालगूंजी)
Thursday, January 9, 2025
101 तर्ज ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम दो जिस्म मगर इक जान है हम(संगम)
Friday, November 22, 2024
मारवाड़ी mashup
ओ म्हान -पूजा रो थाल सजा द ऐ माँ-२
पूजन करबा म्हें जा स्यां- प्रभु की पूजन करबा म्हें जा स्यां
माता त्रिशला न भेजो रे बधाई ओ,नगरी म वीर जन्म्या
हर ल म्हारा मन की पीड़ा ) 2
तू हाथ फिरादे सर पर
हो जावे संकट दूरा
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी शान्त छवि म्हा र मनड़ा म मुस्काव छः } ----- 2
थार चरणा म आग्या वीरा------
पहलों तो संदेशो म्हारो वीर प्रभु न दीज्यो थे -२
भारत री जनता रो थे प्रणाम दीज्यो हे -उड़ती कुरजरिया
अर र र -उड़ती कुरजरिया -----------------
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
पर्युषण है मोक्ष मार्ग रो द्वार -द्वार रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय
सगळा साथी छोड़ अठ ओ जीव अकेलो जाव लो
Thursday, November 21, 2024
27 तर्ज -जल जमुना को पानी कईया ल्याऊ ओ रसिया (veena music)-
27
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तर्ज -जल जमुना को पानी कईया ल्याऊ ओ रसिया (veena music)-मारवाङी
दश लक्षण भादवा का
लाग्या ओ रसिया -२
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय
१
साँची झूठी -थारी -हर बात म्हे तो मानी-२
तो एक बात म्हाँकी थे भी मानो ओ
रसिया
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय
२
उत्तम क्षमा बहुत सुख दाई -२
तो दुःख दाई ओ
बैर मति बांधो ओ
रसिया
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय
३
सोलह स्वर्गा मांही जिता देव सारा पूज -२
तो ऐसा जिनजी न
पूजण थे भी चालो ओ
रसिया
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय
३
जीवन जेवडी रा सुख दुःख नाका -2
तो नापता ही नापता बित जाव ओ रसिया
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय
४
जिनजी क चेहरा पर सुख की चमक है -२
तो त्याग से ही सुख मिल जाव ओ
रसिया
प्रभु से मिलन का करो नी उपाय -----------------दश लक्षण भादवा का ---
रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै ता;-१५.०८.२००५
Monday, November 18, 2024
100 -तर्ज़ सांसो की माला पे सिमरू मैं पी का नाम (कोयला)
Tuesday, October 29, 2024
99 तर्ज लग जा गले की फिर ये हसीं रात हो न हो (वो कौन थी)
Thursday, October 17, 2024
98 तर्ज़ चल अकेला चल अकेला तेरा मेला पीछे छुटा (सम्बन्ध)(राग-भैरवी)
Wednesday, September 11, 2024
97 तर्ज़-केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश (मांड -मारवाङी)
Monday, September 9, 2024
77 तर्ज ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा (दिल्ली का ठग)
Friday, September 6, 2024
96 तर्ज ये शाम मस्तानी मदहोश किए जा (कटी पतंग)
Wednesday, September 4, 2024
95 तर्ज बाईसा रा बीरा जयपुर जाज्यो नी (मारवाड़ी)
Sunday, September 1, 2024
94 तर्ज लड़ली लूमा लूमा हे गोरबंद नखरालो मारवाड़ी
Saturday, August 24, 2024
93 तर्ज ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं, हम क्या करें (इज्जत) (राग-पहाङी)
Thursday, August 22, 2024
92 तर्ज छुपा लो यूं दिल में प्यार मेरा (ममता)(राग-यमन)
Saturday, July 27, 2024
91 तर्ज सजनवा बैरी हो गए हमार (तीसरी कसम)(राग-भैरवी)
Wednesday, April 24, 2024
90 तर्ज चांद सी महबूबा हो मेरी कब (हिमालय की गोद में)(राग-यमन)
Wednesday, September 27, 2023
89 तर्ज सावन का महीना पवन करे शोर (मिलन)(राग-पहाङी)
Sunday, September 24, 2023
88 तर्ज-कहीं दीप जले कहीं दिल (बीस साल बाद, )(राग-शिवरंजनी)
Wednesday, September 20, 2023
87-तर्ज मेरा दिल ये पुकारे आजा (नागिन)(राग-दरबारी)
Saturday, November 5, 2022
84 तेरे होठों के दो फूल प्यारे प्यारे , (पारस)(राग-शिवरंजनी)
Tuesday, August 30, 2022
83_ तर्ज लिखे जो खत तुझे, वो तेरी याद में, हजारों रंग के नजारे बन गए (कन्यादान)(राग असावरी]
Sunday, August 28, 2022
82 तर्ज कुन फाया कुन (रॉक स्टार)
Saturday, August 27, 2022
81 तर्ज कैसे बताएं, क्यूं तुझको चाहें, यारा बता ना पाएं (अजब प्रेम की गजब कहानी)
Sunday, August 21, 2022
79 तर्ज तेरे वास्ते मेरा इश्क सूफियाना (डर्टी पिक्चर)
Saturday, August 20, 2022
80 अर्हम वंदो, जय पारस देवा
Sunday, April 10, 2022
78 तर्ज ना कजरे की धार,ना मोतियों के हार (मोहरा)
Sunday, April 3, 2022
86-ओ मैं तो, पूजा रचाऊं रे,पद्मावती माता कीजय जय पद्मावती माता,जय जय मां 2
Friday, October 15, 2021
76 तर्ज मतवालो देवरियो मारवाड़ी)
Saturday, September 18, 2021
75 तर्ज तेरी उम्मीद तेरा इंतजार करते हैं ए सनम हम तो सिर्फ तुमसे प्यार करते हैं (दीवाना)
Sunday, September 12, 2021
74 तर्ज जे हम तुम चोरी से बंधे इक डोरी से ( धरती कहे पुकार के)
Saturday, September 11, 2021
73 तर्ज किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी हैकहाँ हो तुम के ये दिल बेक़रार आज भी है (एतबार)
Friday, September 10, 2021
72 तर्ज तेरी मेरी गल्ला होंगी मशहूर,के रातां लम्बियां लम्बियां रे (शेरशाह)
Tuesday, September 7, 2021
71 तर्ज वादियां मेरा दामन रास्ते मेरो राहें,(अभिलाषा )
Monday, September 6, 2021
70 तर्ज का करू सजनी आए ना बालम (स्वामी)
Saturday, August 14, 2021
69 तर्ज-जब जब बहार आयी और फूल मुस्कराये मुझे तुम याद आये (तकदीर)
Saturday, August 29, 2020
63 तर्ज -तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (प्यासा सावन)
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तर्ज -तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (प्यासा सावन)
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-२
निराशा के सागर ,में, आशा वही है
प्रभु साथ है तो
कुछ भी नहीं है तो कोई ग़म नहीं है
जहां पर प्रभु ,सब कुछ ,तो वहीं है
प्रभु साथ है तो
१
कैसी बीमारी ये महामारी-२
समझा नहीं कोई जग पे है भारी
महावीर तेरी कमी खल रही है
मानव-ता खत-रे में पड़ी है
प्रभु साथ, है तो 
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-
२
अणुव्रत, धारो,जो,सुख चाहो-२
जियो और जीने दो मंत्र सुनाओ
अहिंसा परम है ,धरम, इस जग में
वीर प्रभु का, ये मार्ग बताओ
प्रभु साथ, है तो 
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-
३
मानव जब, जब ,बनता है दानव-२
करता है शोषण, पर्या-वरण का
प्रकृति करेगी, स्वयं ,अपनी रक्षा
महामारियों,को  तो सहना पड़ेगा
प्रभु साथ, है तो 
प्रभु साथ, है तो ,कोई डर नहीं है-
रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ताः 15.4.2020, 4pmwww.rajubagra.blogspot.com 
Wednesday, August 12, 2020
68 तर्ज- जोत से जोत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो (संत ज्ञानेश्वर)
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तर्ज- जोत से जोत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो (संत ज्ञानेश्वर)
जिनवाणी सुनते सुनाते चलो
ज्ञान की गंगा बहाते चलो
क्षमा ही जैन धर्म का है सार
हिंसा को जड़ से मिटाते चलो
1
अनादि काल से मां जिनवाणी,
सबको राह दिखाती
सुख में दुःख में साथ निभाती
भव से पार कराती
जिनवाणी पूजन जो करता सदा-2
उनको गले से लगाते चलो
ज्ञान की गंगा बहाते चलो
2
अरिहंतो के मुख से निकली
तीनों लोक में फैली
काल अनंत बीत गए जग में
माता कभी ना ठहरी
जिन उपदेश जो सुनता सदा
उनको गले से लगाते चलो
ज्ञान की गंगा बहाते चलो
3
पर्युषण में दश धर्मो को 
जो भी धारण करता
सोलह कारण भावना भा कर
तीर्थंकर सम बनता
तप की राह जो चलता सदा-2
तपसी को ऐसे नमाते चलो
ज्ञान की गंगा बहाते चलो
रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 23.8.2020,4.30pm
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Tuesday, June 16, 2020
66 हमें और जीने की चाहत न होती (अगर तुम न होते)(राग-असावरी)
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तर्ज़- हमें और जीने की चाहत न होती (अगर तुम न होते)(राग-असावरी)
मुनी वर्धमान सागर, आsये तोरे द्वारेss
शरण मिल जाए तेरी, यही आश धारेss
1
तुम्हीं सच्चे गुरु और, पंच परमेष्ठिss
तुम्हीं सच्चे साधक, तपस्वी हो श्रेष्ठिss
गुरुवर तुम्हारेss,चरणों की धूलिss
लगालू जो माथे पे ,टले कर्म सूलीss
मुनी वर्ध मान सागर, आये तोरे द्वारेss---
2
दर्शन ज्ञान की, सम्यक मूर्तिss
सच्चे  चरिsत्र की, जीवन्त ज्योतिss
शान्तिसागरss ,_आचार्य के जैसेss
हे गुरु तुम सम ,पुण्य से मिलतेss
मुनी वर्धमान सागर, आये तोरे द्वारेss
रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 19.6.2020
12.30 AM
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Sunday, June 7, 2020
65 थोड़ा सा प्यार हुआ है थोड़ा है बाकी(मैने दिल तुझको दिया)
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तर्ज़-थोङा सा प्यार हुआ है थोङा है बाकी (मैने दिल तुझको दिया)
हे गुरु वर्धमान जी ,आप ही पूज्य हो
तेरे चरणों में मेरा ,सदा ही शीश हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
1
कमल सी कोमल काया,मनोरम छवी निराली
सनावद गांव से निकले, हो के गुरुवर वैरागी 
दिशा जीवन की बदली, ब्रह्मचर्य को धारा 
मनोरमा  कमल का लाला,बना जग का सितारा
धन्य हुआ विश्व सारा,धन्य जैनत्व सारा
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
2
दिगम्बर मुनि चर्या में ,शिथिलता कभी नहीं की
संघ को एक सूत्र में ,पिरोकर ज्ञान वृद्धि की
सरलता विनयशीलता, गुणों की खान हो गुरुवर
शास्त्र आगम के ज्ञानी, जुबां पर मां जिनवाणी
शान्तिसागर आचार्य ,के परम भक्त हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
हे गुरु वर्धमान जी ,आप ही पूज्य हो
तेरे चरणों में मेरा ,सदा ही शीश हो
गुरुवर वर्धमान जी आप ही पूज्य हो
रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 9.6.2020, 5 pm
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Wednesday, April 15, 2020
64 तर्ज-तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (आचार्य श्री 108 विराग सागर जी को समर्पित)
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तर्ज-तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है (आचार्य श्री 108 विराग सागर जी को समर्पित)
गुरु हे विराग सागर,छवि मनोहारी-2
दुनियां झुके, तेरी महिsमा निराली
गुरु हे विराग सागर-
ज्ञान सुधा बरसाती, छवि है दुलारी
जिनवाणी मुख से,तेरे लगे अति प्यारी
गुरु हे विराग सागर-२
1
कपूर का लल्ला,श्यामा का तारा-2
चमका पथरिया नगर का सितारा
धन्य हुआ जन, गण मन सारा
श्री गुरु ने वैsराग्य को धारा
गुरु हे विराग सागर-
2
पंचम काल की,कठिन तपस्या
करते है शिष्यों की कठिन परीक्षा
आगम सुगम बनाते जाते
भाषा सरल करत समझाते
गुरु हे विराग सागर-
3
सोलह भावना दिल से है भायी
दश धर्मो में ही देह तपायी
ज्ञान का लक्ष्य चरिsत्र बनाया
मोक्ष ही जाने का निश्चय बनाया
गुरु हे विराग सागर-
Note: सभी अन्तरो की राग एक ही है
रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता:29.4.20, 6.00pm
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Tuesday, March 31, 2020
67 मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता (आप आये बहार आयी)
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तर्ज़-मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा मिल गया होता (आप आये बहार आयी)
मिलता,हमेशा,सुख,अहिंसा,के भाव से
दे कर गए संदेश,महा-वीर,ज्ञान से
मुनि वर्धमान, सागर तेरे ,चरणों की ,करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
1
सनावद गांव धन्य हुआ,
तेरे आने से जग झूमा
हुआ हर्षित कमल का मुख,2
मनोरमा मां का, मन झूमा
तुम्हीं वर्तमान,के वर्द्धमान हो, तेरी, करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
2
आचार्य शान्ति सागर की
परम्परा को निभाते हो
अठाईस मूल गुण मुनि के 2
पालन ,करते कराते हो
प्रभू भक्ति में ,रत हरदम,गुरु तेरी करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
मुनि वर्धमान, सागर तेरे ,चरणों की ,करूं पूजा
नहीं दिखता, मुझे जग में ,तुम्हारे सम, कोई दूजा
रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
ता: 19.6.20 10.30 pm
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Sunday, September 8, 2019
62 तर्ज-चले जैसे हवाएं सनन सनन, उड़े जैसे परिंदे गगन गगन (मैं हूं ना)
दश दिन सब करलो ,धरम धरम
तप करके जलालो ,करम करम
कर्मो का होगा,दहन दहन
सुख मिल जायेगा, परम परम
हे हे-हे हे, हे हे हो हो sssss
हे हे,हो हो ,आ हाsssssss
मन की रोको हर मनमानी, सारी नादानी
मिल जाएगी मुक्ति रानी,जो है ठानी
तप करके जलालो ,करम करम
1
जिनवाणी हमको समझाये,
गुरुवाणी भी ये समझाये
संयम तप है बड़ा
हम भी संयम धारण करके
तर जाएंगे भव सागर से
संयमी बनेंगे सदा
सच्चे ,जैनी बनके,हम, करेंगे सबका भला
तप करके जलालो ,करम करम---------------
2
उत्तम क्षमा जंहा मन होई
अंदर बाहर शत्रु न कोई
करते है पूजा सदा
क्षमा भावना धारण करके
कोमलता के फूल खिलाके
क्रोध को करके विदा
सच्चे ,जैनी बनके,हम, करेंगे सबका भला
तप करके जलालो ,करम करम
कर्मो का होगा,दहन दहन
सुख मिल जायेगा, परम परम
हे हे-हे हे, हे हे हो हो sssss
हे हे,हो हो ,आ हाsssssss
मन की रोको हर मनमानी, सारी नादानी
मिल जाएगी मुक्ति रानी,जो है ठानी
तप करके जलालो ,करम करम
ता: 8.9.2019 11.45 Pm
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Friday, September 6, 2019
60 तर्ज - हरियाला बन्ना ओ नादान बन्ना ओ (मारवाड़ी)
रुपया पैसा,यो महल मालिया,
यो जग सारो,प्रभु ना भा व-2
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ण ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
1
शिखरजी गयो रेे, हे पारस प्रभु रे -2
म वंदना भी कर आयो,
प्रभु अब कष्ट मिटाओ सा
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ण ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-2
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
2
चांदनपुर गयो रेे, महावीर प्रभु जी -2
थार लाडू भी चढ़ाया,
अब तो दुखड़ा मिटाओ सा
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
इक तू ही जा ण ,म्हारी भक्ति री गहराई -2
आंसू डा,बह जाव गर गर
कर्मा री पीड़ा जद सताव
बैरागी प्रभु ओ,बैरागी गुरु ओ-
केसरिया प्रभु ओ, सांवरिया प्रभु ओ
म्हे आया शरण म थारी, म्हन ना ठुकराओ सा-2
ता:-7.9.2019,1.15 AM
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Monday, September 2, 2019
59 तर्ज-ओ करम खुदाया है तुझे मुझसे मिलाया है-रुस्तम
प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया
1
मैंने छोड़े है पापों के रास्ते
अब आया हूं तेरे पास रे
तेरी भक्ति में डूबा जाऊं में
पहचान ले
मैंने क्रोध कषाय को त्याग दिया
मैंने क्षमा धरम अपना लिया
स्वारथ के इस संसार को
है जान लिया
शुभ करम जो आया है,प्रभु ध्यान लगाया है
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया
2
कभी किसी भी, गति में जाऊं मैं
तेरे ध्यान से भटक ना जाऊं मैं
मैं हूं अज्ञानी इक आत्मा
पहचानना
तेरा मेरा मिलना दस्तूर है
तेरे होने से मुझमें नूर है
मैं हूं अज्ञानी इक आत्मा
पहचानना
दश धरम निभाने को ,मेरा मन अकुलाया है
जो तेरा संग पाया,ये मन हर्षाया
तू है परमातम , मैंने सब कुछ पाया
ते-रे चरणों में, मैंने ध्यान लगाया
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Sunday, December 30, 2018
58 तर्ज- प्रेम कहानी में इक लड़का होता है इक लड़की होती है(प्रेम कहानी)(राग-मालगुंजी)
प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है-2
1
इतनी सी, छोटी सी, होती है ,ये जिंदगानी-2
रुक जाती है,थम जाती है,जब ये सांसे सारी
स्वार्थी दुनियां में
तू एकला आता है
और एकला जाता है
जब कुछ नहीं मिलता है, फिर क्यों तू रोता है
प्रभु की पूजा में,
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है
2
गुरुओं का संगम जब तब मिल जाता है हमको
उनके उपदेशों से पथ मिल जाता है हमको
जिनवाणी सुनके
इक ज्ञान जो मिलता है
इक आनन्द मिलता है
जब दोनों मिलते है,तब मोक्ष भी मिलता है
इक शक्ति होती है
इक भक्ति होती है
जब दोनों मिलते है ,तब मुक्ति होती है-2
ता: 4.9.2019 11.30.P.M
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Friday, September 21, 2018
56 तर्ज- मेरी भीगी भीगी सी पलकों में रह गए,(अनामिका)(राग-कीरवानी)
हम रोज नमन करते
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
तुम्हें बिन जाने,बिन पहचाने,जन्म अनेकों गंवाये - 2
आज हमें जब ज्ञान मिला तो,तेरे चरणों में आये
चारों गतियों में दुःख जो उठाये
तड़प के आहे भर भर के
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
तू ही इक सहारा ,नश्वर जग में,भव से जो पार कराये - 2
जनम जनम के पाप करम से,हम को भी मुक्ति दिलाये
ऐसी ही आशा, ले के हम आये
तेरी दया पाने को
करे मन मेरा भी,तुम सा बनूं मैं
कर्म के बन्धन छूटे
हे पार्श्व प्रभु...........
Wednesday, September 19, 2018
55 तर्ज-थारी आंख्या का यो काजल ,म्हनै करे से गोरी घायल (लोक गीत हरियाणा)
हर ल म्हारा मन की पीड़ा ) 2
तू हाथ फिरादे सर पर
हो जावे संकट दूरा
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी शान्त छवि म्हा र मनड़ा म मुस्काव छः } ----- 2
थार चरणा म आग्या वीरा------
1
पर पीड़ा और पर निन्दा, म्हां न घणी सुहावण लागी)
माया चारी कर कर म्हारी छाती दूखण लागी)2
जद खुद पर बीतण लागी
मुखड़ा पे आई उदासी
म्हे अकड़ म गेला हुग्या
थान भूल के मैला हुग्या
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी शान्त छवि म्हा र मनड़ा म मुस्काव छः } ----- 2
थार चरणा म आग्या वीरा------
जद पड्या करम का सोटा
म्हे टेढ़ा, बणग्या सीधा
म्हारो जियड़ो अब दुःख पाव
जियड़ा न कुण समझाव
ओ थारी पल पल पल पल याद घणी ,म्हां न आवे छः ओ य}
थारी शान्त छवि म्हा र मनड़ा म मुस्काव छः } ----- 2
थार चरणा म आग्या वीरा------
रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि" ,मदुरै
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Sunday, September 16, 2018
54 तर्ज -प्यार दीवाना होता है ,मस्ताना होता है [कटी पतंग](राग-देस,काफी,यमन)
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है
१
गुरु कहे हर आतम से - तेरा नहीं कोय
काया नहीं तेरी अपनी -दुजा होवे कौन
स्वारथ के रिश्ते है ,गले ,लगा के बैठा है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है
२
गुरु कहे हर आतम से , संयम मन में धार
वश में करले इन्द्रियों को ,होवे फिर उद्धार
तप करने से मन में संयम उत्पन्न होता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है
३
सुनो किसी गुरुवर ने ये ,कहा बहुत खूब
मना करे दुनियां लेकिन मेरे महबूब
हिंसा के पथ पर चलने से , दुःख ही मिलता है
प्रेम के पथ पर चलने से,बस ,सुख ही मिलता है
गुरु जनों के मुख से जो ,जिनवाणी सुनता है
गुरु शरण में चलो सभी ,दुःख गुरु ही हरता है
रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता ; 17 -9 -2018 -1.00 am
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Monday, July 31, 2017
61 तर्ज -वादा न तोड़,तू वादा न तोड़ [फ़िल्म -दिल तुझ को दिया ]
हो मुक्ति नगरी का ,एक यही है द्धार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो
रे तपसी ,होगी तेरी जग में जयकार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो
1
पंचेन्द्रियों के जाल में फंसकर ,जाने कितने जनम गंवाये
संयम धारण करने से तेरे , कर्मो के बंधन टूटते जाये
हो मुक्ति नगरी का ,एक यही है द्धार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो-2
रे तपसी ,होगी तेरी जग में जयकार
2
चारों गति में संयम पालन ,मानव ही कर सकता है धारण
त्यागी तपस्वी ये बतलाये , पंचेन्द्रियों से मुक्ति दिलाये
हो मुक्ति नगरी का ,एक यही है द्धार
तपस्या करो ,तपस्वी बनो
रे तपसी ,होगी तेरी जग में जयकार
रचयिता -राजू बगड़ा "राजकवि"(सुजानगढ़) मदुरै
1. 8 . 2017
Tuesday, September 13, 2016
53 तर्ज -जग घूमिया थार जैसा ना कोई [सुल्तान]राग "मधुमाद सरंग"
मनवा मेरा हर्षाया
जग घुमिया थार.जैसा न कोई -2
थारी शरण में
दुःख दूर सब
तेरी भक्ति में ,डूबा हूं मैं
1
आँखों में दयालुता है ,चेहरे पे शीतलता
मन्द मन्द मुस्काते ,मुखड़े की सुन्दरता
वीतरागता ssssss
वीतरागता की मूरत ,क्षमा भाव रखता है
इन्द्र भी तेरे ,दरश को तरसता है
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
2
हरदम तेरा ही मैं, ध्यान लगाता हूँ
भ-क्ति के भावों से मैं, पूजा रचाता हूँ
महावीरजी sssssss
महावीर तुमने जग को, अहिंसा सिखाई
प्रेम सिखाया जग को ,करुणा सिखाई
थान. देव भी पूजते
थान. देख वे हर्षाते
दुखियों की है सुनी
तुम ही हो इक मुनि
हे प्रभू तुमसे है कहना ------जग घुमिया थार.जैसा न कोई -4
रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता;13 -09 -2016
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Wednesday, September 7, 2016
52 तर्ज -मैं कहीँ कवि न बन जाऊ, तेरे प्यार में ए कविता (प्यार ही प्यार)(राग-कीरवानी)
Tuesday, September 22, 2015
51 तर्ज -धीरे धीरे से मेरी जिन्दगी में आना [आशिकी ]राग-भूपाली
जिन्दगी का,नहीं कोई ,ठिकाना
जिनके प्यार में,हो गया है,तू दीवाना
उनको छोड़ के,तुमको,इक दिन है जाना
धीरे धीरे --------------
१
जब सेss आया हूँ ,तेरी शरण में ,मेरे प्रभू
तब से मुझको ,नश्वर जग का ,हुआ ज्ञान प्रभू
रिश्ते नाते ,सब स्वारथ में ,लिपटे है प्रभू
पल पल में ,बदलना ,मानव का ,स्वभाव प्रभू
धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------
२
उत्तम है क्षमा,मार्दव,आर्जव ,सत्य शौच संयम
तप त्याग आकिंचन ,ब्रह्मचर्य ,यह दश है धर्म
करना चाहिए ,इनका पालन ,हमें जीवन में
होगा कल्याण ,हमारा ,इनके पालन से
धीरे धीरे,अपने मन को,समझाना ----------------
रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता -२३.०९.२०१५
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Thursday, September 17, 2015
50 तर्ज -उडियो रे उडियो [सुवटियो ]मारवाड़ी
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
पर्युषण है मोक्ष मार्ग रो द्वार -द्वार रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
१
क्षमा धर्म से पारस -मुक्ति में गया -मुक्ति में गया
बैर कमठ न नरका दियो पुगाय -आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
२
खाता पीता उमर -सारी बीतगी -ढ़ोला बीतगी
रसना इंद्री न देदो विश्राम -आराम रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
३
दान धर्म करबा स्यु -भाया भव सुधर -भाया गति सुधर
प्रभु चरणा म धन रो ढेर चढ़ाय- आय रे
आयो पर्युषण त्यौहार -आयो पर्युषण त्यौहार
रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता 18 . 9 . 2015
49 तर्ज -परदे में रहने दो पर्दा ना उठाओ -[शिकारी ](राग-मधुवन्ति)
जैसा जो बोयेगा ,वैसा वो पायेगा -२
बोया है जो बबुल , तो कांटे ही पायेगा
पापो से करले तौबा - पापो से करले तौबा
१
पाप के फंदे तू खुद बुनता है
बुनके फंदो को तू खुश होता है
जब भी , दुखो की बाढ़ आती है -२
रोते रोते ही -२ जान जाती है -
हा तो -जैसा जो बोयेगा
२
दश धर्मों के - दस दिन आये है
पापो से -बचने के दिन आये है
अपनी काया को, अब तपाले तू -२
याद रखना फिर -२ मुक्ति पाओगे
हा तो -जैसा जो बोयेगा
रचयिता -राजू बगडा-"राजकवि"(सुजानगढ़)मदुरै
ता -16 . 09 . 2015
11 . 55 pm